Thursday, 23 June 2016

आजमगढ़ का यह हिन्दू परिवार रातों को जागकर मुस्लिम पड़ोसियों को रोज़े रखने में करता है मदद



बनारसी साड़ियों के लिए मशहूर उत्तर प्रदेश के मुबारकपुर गांव में रात के तीन बजे जब सभी सो रहे होते हैं, तब यह शख्स और उनके 12 वर्षीय बेटे की आंखों में नींद नहीं। इन दोनों का काम रात 1 बजे शुरू होता है और अगले दो घंटों तक ये गांव के मुस्लिम परिवारों को रमजान में सेहरी और फज्र (सुबह) की नमाज के लिए जगाते रहते हैं।

इन दो घंटों के दौरान 45 वर्षीय गुलाब यादव और उनका 12 वर्षीय बेटा अभिषेक गांव के सभी मुस्लिम घरों पर दस्तक देते हैं और उन लोगों के नींद से जग जाने तक वहां से हटते नहीं। यादव का कहना है कि वह 45 साल पुरानी परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। साल 1975 में उनके पिता चिर्कित यादव ने इसकी शुरुआत की थी।

गुलाब यादव कहते हैं कि उस वक्त वह काफी छोटे थे और उन्हें इसकी वजह भी नहीं समझ आती थी। वह कहते हैं, 'मुझे लगता है कि इससे शांति मिलती है। मेरे पिता के बाद, मेरे बड़े भाई ने कुछ वर्षों तक यह काम किया, उनके बाद मैंने यह जिम्मा उठाया और अब मैं हर रमजान यहां लौट आता हूं।'

गुलाब यादव पेशे से दिहाड़ी मजदूर हैं, जो कि ज्यादातर समय दिल्ली में रहते हैं, लेकिन रमजान आने पर वह पूर्वी यूपी के आजमगढ़ स्थित अपने गांव लौट आते हैं।

वहीं गुलाब के पड़ोसी शफीक बताते हैं कि वह महज चार साल के थे, जब यह परंपरा शुरू हुई थी। शफीक कहते हैं, 'आप देखिये, यह बेहद प्रशंसनीय काम है। वह पूरे गांव का चक्कर लगाते हैं, इसमें डेढ़ घंटे का वक्त लगता है। इसके बाद वह एक बार फिर पूरे गांव में घूमते हैं। वह यह पक्का करते हैं कि कोई भी सेहरी करने से ना चूके। इससे ज्यादा पवित्र चीज़ और क्या हो सकती है।'

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और बीते कुछ दिनों से पश्चिमी यूपी के कैराना से हिन्दुओं के कथित पलायन को लेकर सियासत गर्मायी हुई है। ऐसे में आजामगढ़ के गुलाब यादव इंसानियत और हिन्दू- मुस्लिम भाईचारे पर भरोसे को नई जान देते हैं।

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